अब बगैर कीटनाशकों के खेती के लिए महिलाओं को करेंगी प्रेरित
नरेंद्र कुंडू 
जींद। रधाना गांव में चल रही अमर उजाला फाउंडेशन व डॉ. सुरेंद्र 
दलाल कीट साक्षरता मिशन द्वारा चलाई जा रही महिला किसान खेत पाठशाला अब 
गांव की सरपंच को भा गई है। महिला सरपंच मंजु प्रत्येक शनिवार को लगने वाली
 इस पाठशाला में कीट ज्ञान की ताल्लीम ले रही हैं।
| रधाना गांव के खेतों में लगी पाठशाला में उपस्थित महिलाएं। | 
शनिवार को लगी पाठशाला में कीटाचार्य महिला किसानों ने कपास की फसल में 
मौजूद कीटों का अवलोकन किया। खेत पाठशाला के दौरान महिला कीटाचार्यों ने 
शाकाहारी तथा मांसाहारी कीटों का गिनती कर चार्ट पर कीटों का आंकड़ा तैयार 
किया। पिछले सप्ताह की ही तरह इस बार भी फसल में शाकाहारी कीटों की बजाए 
मांसाहारी कीटों की संख्या ज्यादा मिला। महिला किसान शीला, सविता, शकुंतला,
 सुदेश, सुषमा, अंग्रेजो, नवीन, प्रमिला, यशवंती, असीम ने बताया कि 
शाकाहारी और मांसाहारी कीट दोनों ही फसल को फायदा पहुंचाते हैं। शाकाहारी 
कीट कपास की फसल के पत्तों को काटकर उनमें सुराग बना देते हैं। पत्तों में 
सुराग होने से नीचे वाले पत्तों पर भी चली जाती है, जो पत्तों द्वारा भोजन 
तैयार करने में सहायक होती है। किसान के जानकारी के अभाव में फसल पर कीटों 
को देखकर कीटनाशक स्प्रे कर देते हैं, जिसका उत्पादन पर भी विपरीत असर 
पड़ता है।
गांव की महिलाओं को भी करुंगी प्रेरित
दूसरी बार महिला किसान खेत पाठशाला में पहुंची रधाना गंाव की सरपंच मंजु ने
 बताया कि पिछले साल सफेद मक्खी की वजह से उनके यहां प्रति एकड़ दो क्विंटल
 कपास का उत्पादन हुआ था। महंगे कीटनाशक स्पे्र करने के बावजूद कोई फायदा 
नहीं हुआ। इस पाठशाला में आकर कीटों के बारे में पता चला है, जिसके बारे 
में वह गांव की ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को बताएंगी। 
| रधाना गांव की सरपंच मंजू का फोटो। |