डीडी किसान चैनल की टीम ने कैमरे में कैद किए कीटाचार्य किसानों के अनुभव
दो घंटे तक किसानों व कृषि वैज्ञानिकों के बीच हुए सवाल-जवाब
थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए कुदरती कीटनाशियों को बताया अचूक हथियार
नरेंद्र कुंडू
जींद। म्हारे कीटाचार्य किसान अब देश के किसानों
को कुदरती तरीके से सफेद सोने (कपास) की खेती करने के टिप्स देंगे। ताकि
खाने की थाली को जहरमुक्त बनाकर आने वाली पीढिय़ों को अच्छे स्वास्थ्य के
साथ-साथ अच्छा पर्यावरण मुहैया करवाया जा सके। इसके लिए डीडी किसान चैनल की
टीम ने मंगलवार को जिले के रधाना गांव में प्रश्र मंच कार्यक्रम का आयोजन
कर कीटाचार्य महिला व पुरुष किसानों के अनुभवों को अपने कैमरे में कैद
किया। कार्यक्रम के दौरान लगभग दो घंटे तक किसानों व कृषि वैज्ञानिकों के
बीच खूब सवाल-जवाब हुए। कीटाचार्य किसानों ने अपने अनुभव में बताया कि
कीटनाशकों के बिना खेती संभव है लेकिन कीटों के बिना खेती संभव नहीं है।
जहरमुक्त खेती की पद्धति को आगे बढ़ाने के लिए कीट ज्ञान बेहद जरूरी है।
कीटनाशकों के प्रयोग को रोकने में कुदरती कीटनाशी ही एकमात्र अचूक हथियार
हैं। कार्यक्रम की रिकार्डिंग के दौरान प्राकृतिक रूप से कपास की फसल की
देखभाल तथा कुदरती तरीके से फसल में मौजूद कीटों को नियंत्रित करने के
मुद्दे पर विशेष फोक्स रहा। कीटाचार्य किसानों ने बड़ी ही बेबाकी के साथ
सभी सवालों के जवाब दिए और कार्यक्रम में मौजूद कृषि वैज्ञानिकों ने
किसानों के जवाबों पर अपनी सहमति जताकर तकनीकि रूप से मोहर लगाने का काम
किया। टीम के साथ अपने अनुभव सांझा करते हुए कीटाचार्य महिला और पुरुष
किसानों ने बताया कि वह किस तरह से पिछले आठ-दस वर्षों से बिना किसी
कीटनाशक का प्रयोग किए व नामात्र उर्वरकों का प्रयोग कर जहरमुक्त खेती को
बढ़ावा देकर अच्छा उत्पादन तो ले ही रहे हैं, साथ-साथ समाज को अच्छा
पर्यावरण व शुद्ध भोजन मुहैया करवाने का काम कर रहे हैं।
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कार्यक्रम में महिला किसानों से सवाल-जवाब करती टीम की एंकर। |
यह-यह लोग कार्यक्रम में हुए शामिल
कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ से वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक यशपाल
मलिक, प्रगतिशील किसान क्लब की तरफ से कुलदीप ढांडा, कीटाचार्य रणबीर मलिक,
सविता, अंग्रेजो, जिला पार्षद अमित निडानी, डीडी किसान चैनल से सीनियर
प्रोडेक्शन एग्जीकिटिव विकास डबास, एंकर आदिती शर्मा, सीनियर वीडियोग्राफर
नरेश गोलिया, विक्रम किशोरी, कैमरामैन शंभुनाथ मिश्रा, इंजीनियर जोगेंद्र
कुमार, तकनीशियन हेमंत, वीडियो सहायक अंकित अग्रवाल, हेमंत विष्ठ मौजूद
रहे।
इस-इस दिन होगा कार्यक्रम का प्रसारण
कीटाचार्य पुरुष किसानों के कार्यक्रम का प्रसारण बृहस्पतिवार 21 जुलाई शाम
को साढ़े सात बजे, शुक्रवार 22 जुलाई को दोपहर तीन बजे किया जाएगा। जबकि
महिला किसानों के कार्यक्रम को बृहस्पतिवार 28 जुलाई शाम साढ़े सात बजे तथा
शुक्रवार 29 जुलाई को दोपहर तीन बजे प्रसारित किया जाएगा।
यह हुए सीधे सवाल-जवाब
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कार्यक्रम में पुरुष किसानों से सवाल-जवाब करती टीम की एंकर। |
सवाल 01. कपास की अच्छी फसल लेने के लिए क्या सावधानी रखनी चाहिए।
जवाब : अच्छी फसल लेने के लिए सबसे पहले बिजाई से पूर्व धरती की अच्छी
जुताई की जाए। बिजाई से पूर्व खेत में देसी खाद का प्रयोग किया जाए।
डोलियां बनाकर बिजाई की जाए। बिजाई के बाद समय पर पानी लगाना चाहिए।
सवाल 02. कीटनाशकों के इस्तेमाल में क्या सावधानियां रखनी चाहिए।
जवाब : किसानों ने बताया कि वह पिछले आठ-दस वर्षों से बिना कीटनाशकों के
खेती कर रहे हैं और इस दौरान उन्हें कीटनाशकों की जरूरत नहीं पड़ी।
सवाल 03 : कपास की फसल में पहली सिंचाई कब होनी चाहिए।
जवाब : बिजाई के 40 दिन बाद सिंचाई की जा सकती है। सिंचाई से पहले अच्छी
तरह से निराई व गुडाई करनी चाहिए। यदि जमीन में नमी कम है तो पहले भी
सिंचाई की जा सकती है। पौधों की जरूरत को ध्यान में रख कर सिंचाई करें और
सितम्बर माह में सिंचाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि इस माह
में पौधे पर फूल व बौकी आनी शुरू हो जाती हैं।
सवाल 04 : क्या कीटनाशकों के बिना खेती संभव है।
जवाब : कीटों को नियंत्रित करने में कीट ही सबसे अचूक शस्त्र हैं। पौधे
अपनी जरूरत के अनुसार ही भिन्न-भिन्न प्रकार की गंध छोड़कर कीटों को बुलाते
हैं। जब पौधे को शाकाहारी कीट की जरूरत नहीं होती जब पौधे उन्हें
नियंत्रित करने के लिए मांसाहारी कीट को बुलाते हैं। इस प्रक्रिया में
मांसाहारी कीट शाकाहारी कीटों को नियंत्रित कर लेते हैं। इसलिए कीटनाशकों
के बिना खेती संभव है लेकिन कीटों के बिना खेती संभव नहीं है। कीटनाशकों के
प्रयोग से कीटों की संख्या कम होने की बजाए बढ़ती है। वहीं कृषि विशेषज्ञ
ने भी इस बात पर अपनी सहमति जताते हुए बताया कि कीटनाशकों के प्रयोग से कीट
अपना जीवन चक्र कम कर बच्चे देने की क्षमता बढ़ा लेते हैं और इससे फसल में
कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है।
सवाल 05 : कीटनाशकों से मिट्टी को क्या नुकसान होता है।
जवाब : कीटनाशकों के प्रयोग से मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म कीट मर जाते हैं
तथा इससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी नष्ट होती है। कीटनाशकों का प्रभाव जमीन
व वातावरण में लंबे समय तक रहता है। जो हवा व खाने के माध्यम से हमारे
शरीर में प्रवेश कर बीमारियां पैदा करते हैं।
सवाल 06 : कपास की फसल में किस-किस रोग का खतरा रहता है।
जवाब : कपास की फसल में लीफ करल नामक वायरस का खतरा ज्यादा रहता है और सफेद
मक्खी इस वायरस को फैलाने में सहायक है। कुछ कृषि अधिकारियों का मानना है
कि लीफ करल वाले पौधे को उखाड़ दें लेकिन पौधे को उखाडऩे की बजाए यदि उसे
पर्याप्त मात्रा में खुराक दें तो पौधा अच्छा उत्पादन दे सकता है।
सवाल 07 : क्या कपास में आने वाले कीट भी फसल को फायदा पहुंचा सकते हैं।
जवाब : प्रकृति ने इस धरती पर जिस भी जीव को जन्म दिया है, उसकी कहीं ना
कहीं बहुत जरूरत है। ऐसा ही फसल में मौजूद कीटों पर भी लागू होता है। कुछ
ऐसे शाकाहारी कीट हैं जो पत्तों में सुराख करते हैं और इस सुराख से ही नीचे
के पत्तों पर धूप पहुंचती है तो नीचे के पत्ते भी पौधे के लिए भोजन बनाते
हैं। वहीं ब्रिस्टल बीटन (तेलन) नामक शाकाहारी कीट कपास की फसल में
पर-परागण का काम करती है। इस प्रकार कीट भी फसल को फायदा पहुंचाते हैं।
सवाल 08 : कपास की फसल में सफेद मक्खी की रोकथाम के क्या ऊपाये हैं।
जवाब : सफेद मक्खी को नियंत्रित करने के लिए फसल में हथजोड़ा, क्राइसोपा,
मकडिय़ां, बीटल नामक मांसाहारी कीट काफी संख्या में मौजूद रहते हैं, जो
सफेद मक्खी व इसके बच्चों को खाकर इसे नियंत्रित करने का काम करते हैं।
वहीं कुछ ऐसे कीट भी हैं जो इसके अंड़ों में अपने अंडे देकर सफेद मक्खी
संख्या को बढऩे से रोकते हैं।
सवाल 09 : औसतन कितनी सफेद मक्खी होने पर कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए।
जवाब : कृषि वैज्ञानिकों द्वारा निर्धारित किए गए आर्थिक हानि कागार
(ईटीएल) के अनुसार प्रति पत्ता जब सफेद मक्खी की संख्या 6 से अधिक हो तो ही
कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए लेकिन पिछले आठ से दस साल के अनुभव में आज
तक सफेद मक्खी ने कभी भी उनकी फसल में यह ईटीएल लेवल पार नहीं किया है।
इसलिए उन्हें सफेद मक्खी को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशक की जरूरत नहीं
पड़ी।
सवाल 10 : कपास में चुगाई के दौरान क्या सावधानियां रखनी चाहिएं।
जवाब : चुगाई के दौरान साफ कपड़े (पल्ली) का प्रयोग किया जाए, चुगाई के
दौरान सिर पूरी तरह से कपड़े से ढका होना चाहिए। पक्के हुए फावे को ही
निकालें। औस साफ होने पर ही चुगाई करनी चाहिए। पत्तों व कीटों को फावों से
दूर रखें ताकि कपास की गुणवत्ता पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़े।